कोलकाता के एक प्रसिद्ध लॉ कॉलेज में 25 जून 2025 की रात एक छात्रा के साथ एक शर्मनाक गैंगरेप की घटना सामने आई, जिसने समाज में तहलका मचा दिया है। पुलिस ने इस घटना की जांच शुरू कर दी है और अब तक चार आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। मुख्य आरोपी मोनोजीत मिश्रा है, जिसने छात्रा को शादी का प्रपोजल दिया था, जिसे उसने ठुकरा दिया था। इसके बाद मोनोजीत और उसके साथियों ने मिलकर इस घृणित वारदात को अंजाम दिया। अन्य आरोपियों में जैब अहमद, प्रमित मुखर्जी और कॉलेज के गार्ड शामिल हैं। केस की जांच कसबा थाना पुलिस कर रही है।
पुलिस जांच की प्रगति
पुलिस ने पांच दिन के भीतर इस केस में लगभग 10 अहम सबूत जुटा लिए हैं। पीड़िता का मेडिकल जांच भी करा ली गई है, जिसमें फोर्सफुल पेनीट्रेशन, दांतों से काटे जाने के निशान, और नाखून की खरोंच के निशान पाए गए हैं। केस को मजबूत करने के लिए पुलिस ने कॉलेज के कैंपस और गार्ड रूम से भी कई सबूत बरामद किए हैं।
मिले महत्वपूर्ण सबूत
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हॉकी स्टिक: जो पीड़िता पर वार के लिए इस्तेमाल की गई थी।
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कपड़े: आरोपियों द्वारा घटना के समय पहने गए लाल कुर्ता, हल्के भूरे रंग की सिक्स-पॉकेट पैंट, और काले रंग के शॉर्ट्स जब्त कर लिए गए हैं।
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बाल के रेशे: गार्ड रूम से बरामद बालों के रेशों की फोरेंसिक जांच की जा रही है ताकि वे किसके हैं, इसका पता लगाया जा सके।
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मोबाइल फोन: मुख्य आरोपी मोनोजीत मिश्रा का मोबाइल जब्त किया गया है, जिसमें कई अश्लील वीडियो मिले हैं। इसके साथ ही पीड़िता पर किए गए गैंगरेप का वीडियो भी पुलिस के हाथ लगा है, जो जांच में अहम भूमिका निभाएगा।
पुलिस की कार्रवाई और आगे की योजना
इस गंभीर अपराध की जांच के लिए ACP प्रदीप कुमार घोषाल के नेतृत्व में पांच सदस्यीय स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) गठित की गई है। पुलिस ने 28 जून की शाम को क्राइम सीन का री-क्रिएशन किया, जिसमें घटना के हर पहलू को फिर से जांचा गया। आरोपियों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं और उनके बैकग्राउंड की जांच की जा रही है।
तीनों आरोपियों का मेडिको-लीगल टेस्ट कराने की तैयारी की जा रही है, ताकि जांच रिपोर्ट के आधार पर अपराध को और पुख्ता किया जा सके। साथ ही, पुलिस प्रमित मुखर्जी के घर भी गई और उनके माता-पिता के सामने उनसे पूछताछ की गई, लेकिन आरोपियों के परिवार ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
समाज और प्रशासन की प्रतिक्रिया
इस घटना ने कोलकाता की न्याय व्यवस्था और सामाजिक सुरक्षा पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। छात्रा सुरक्षा को लेकर सभी स्तरों पर सख्त कदम उठाने की मांग उठ रही है। कॉलेज प्रशासन और पुलिस ने मिलकर सुरक्षा बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता जताई है।
साथ ही, भाजपा ने इस मामले में एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई है, जो स्वतंत्र जांच कर रही है ताकि सच्चाई सामने आए और दोषियों को कड़ी सजा मिले।
कानूनी प्रावधान और संभावित सजा
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट विराग गुप्ता के अनुसार, आरोपियों के खिलाफ कई धाराएं लगाई जा सकती हैं:
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धारा 127: इसके तहत आरोपी को 1 साल की जेल और 5000 रुपये जुर्माना हो सकता है, जो सामान्य धाराओं में आता है।
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धारा 3 (5) और धारा 70 (1): इन धाराओं के तहत आरोपियों को न्यूनतम 20 साल की सजा हो सकती है, साथ ही अधिकतम आजीवन कारावास और भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
ये सजा निर्भर करेगी कि अदालत कितनी सख्ती से अपराध को देखती है और जांच रिपोर्ट में कितनी पुख्ता बातें सामने आती हैं।
पीड़िता की सुरक्षा और मानसिक सहारा
जैसे-जैसे केस आगे बढ़ रहा है, पीड़िता की सुरक्षा और उसका मानसिक सहारा भी प्रशासन की प्राथमिकता में शामिल है। इसके लिए उन्हें चिकित्सा सहायता के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग भी दी जा रही है। पुलिस इस बात का पूरा ध्यान रख रही है कि पीड़िता को न्याय मिले और वह भविष्य में सुरक्षित महसूस कर सके।
निष्कर्ष
कोलकाता के इस लॉ कॉलेज की यह घटना न केवल कानून व्यवस्था की परीक्षा है बल्कि समाज के लिए भी चेतावनी है कि महिलाओं की सुरक्षा में कमी नहीं आनी चाहिए। पुलिस की तेजी से हुई जांच और आरोपियों की गिरफ्तारी एक सकारात्मक कदम है, लेकिन यह आवश्यक है कि पूरी प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी हो।
साथ ही, समाज में जागरूकता बढ़ानी होगी कि महिलाओं के खिलाफ अपराध को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस घटना से हमें यह सीखनी चाहिए कि सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करना होगा ताकि कोई भी महिला सुरक्षित महसूस कर सके।