ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में सोमवार को नगर निगम कार्यालय में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई। भुवनेश्वर नगर निगम (BMC) के अतिरिक्त आयुक्त रत्नाकर साहू पर कुछ लोगों ने न सिर्फ हमला किया, बल्कि उन्हें लात-घूंसों से पीटा, खींचते हुए बाहर निकाला और जबरन अपनी गाड़ी में बैठाने की कोशिश की। यह पूरी घटना नगर निगम के मुख्य कार्यालय परिसर में हुई और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसने प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मचा दिया।
वीडियो में दिखी बर्बरता
वायरल वीडियो में साफ दिखाई देता है कि कुछ लोग एक सरकारी अफसर को कार्यालय से घसीटते हुए बाहर निकालते हैं। अफसर को बुरी तरह से पीटा जा रहा है, जमीन पर गिराकर धक्के दिए जा रहे हैं और उसे गाड़ी में डालने की कोशिश की जा रही है। इस दौरान ऑफिस में काम कर रहे दूसरे कर्मचारी और लोग भय और असहायता में यह सब होते हुए देखते रह गए। बाद में अफसर की पहचान रत्नाकर साहू, अतिरिक्त आयुक्त के रूप में की गई।
क्यों हुआ हमला?
घटना के बाद पुलिस को दिए अपने बयान में रत्नाकर साहू ने बताया कि वे नागरिकों की जन शिकायतों की सुनवाई कर रहे थे। इसी दौरान जीवन राउत, जो कि एक पार्षद हैं, अपने कुछ समर्थकों के साथ उनके चैंबर में घुस आए। उन्होंने आक्रोशित लहजे में अफसर से सवाल किया, “तुमने जग भाई से बदसलूकी की थी क्या?” जब साहू ने इंकार किया, तो अचानक उन पर हमला बोल दिया गया।
आरोपियों ने साहू का कॉलर पकड़ा, उन्हें खींचते हुए चैंबर से बाहर निकाला और बुरी तरह से पीटना शुरू कर दिया। इस दौरान साहू को जमीन पर गिरा दिया गया और उनकी जबरन अपहरण करने की कोशिश भी की गई। हालांकि कुछ कर्मचारियों और राहगीरों ने बीच-बचाव कर अफसर को छुड़ाया।
पुलिस ने की तुरंत कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस सक्रिय हुई। रत्नाकर साहू की शिकायत के आधार पर पुलिस ने FIR दर्ज की और जीवन राउत, रश्मि महापात्रा और देबाशीष प्रधान नामक तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस के अनुसार मामले की जांच जारी है और जरूरत पड़ने पर और लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है।
विरोध में प्रशासनिक हड़ताल और सड़क जाम
इस हमले के खिलाफ ओडिशा प्रशासनिक सेवा संघ ने सामूहिक अवकाश पर जाने की घोषणा की है। इसके साथ ही बीजद के पार्षदों और नगर निगम के कर्मचारियों ने इस घटना के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किया। जनपथ रोड, जो कि भुवनेश्वर की सबसे व्यस्त सड़कों में से एक है, उसे भी जाम कर दिया गया। इस प्रदर्शन के चलते शहर में यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ।
नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया
घटना के बाद ओडिशा की राजनीति में भी हलचल मच गई। पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने घटना की कड़ी निंदा की और इसे प्रशासनिक व्यवस्था पर हमला बताया। उन्होंने कहा कि “अगर हमारे प्रशासनिक अधिकारी खुद सुरक्षित नहीं हैं, तो आम जनता की सुरक्षा कैसे होगी?”
वहीं भुवनेश्वर की महापौर सुलोचना दास ने भी घटना को निंदनीय बताया और आश्वासन दिया कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
अफसरों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल
इस घटना ने एक बार फिर अफसरों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। कार्यालय परिसर में इस तरह की बर्बरता और अपमान की घटना ने प्रशासनिक वर्ग में भय का माहौल बना दिया है। सरकारी कर्मचारी संघों ने साफ कहा है कि अगर ऐसे हमलों पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो वे राज्यव्यापी हड़ताल करेंगे।
निष्कर्ष
भुवनेश्वर नगर निगम के भीतर एक अफसर पर खुलेआम हमला और अपहरण की कोशिश लोकतंत्र और प्रशासनिक व्यवस्था पर एक गंभीर सवाल है। इस घटना ने न सिर्फ प्रशासनिक ढांचे को झकझोरा है, बल्कि राजनीतिक व्यवस्था की जवाबदेही और लोकतांत्रिक मर्यादाओं को भी कठघरे में खड़ा किया है।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि ओडिशा सरकार इस मामले को कितनी संवेदनशीलता से लेती है और क्या दोषियों को उचित सजा दिलाने में सफल हो पाती है या नहीं। फिलहाल प्रशासनिक अमले में गहरा रोष और असुरक्षा की भावना व्याप्त है।