मुंबई, 26 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करने के प्रस्ताव से उपजे तनाव ने अब व्यापक रूप ले लिया है। प्रशासन ने इस विषय पर कोई अनुमति नहीं दी, इसके बावजूद भीम आर्मी के संगठन भीम सेना ने सोमवार को फूलबाग स्थित अंबेडकर प्रतिमा पर माल्यार्पण और सभा का ऐलान किया। प्रशासनिक सख्ती के चलते ग्वालियर-मुरैना सीमा को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया और दोपहर तीन बजे जब भीम सेना के कार्यकर्ता रैली की शक्ल में आगे बढ़े तो उन्हें निरावली पॉइंट पर ही रोक लिया गया। जब भीम सेना के नेताओं ने अंदर प्रवेश का प्रयास किया तो पुलिस ने अनुमति दिखाने को कहा, जिस पर दोनों पक्षों के बीच बहस हो गई। इस दौरान संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नवाब सतपाल सिंह तंवर ने इसे दलितों पर अन्याय बताया और कहा कि अगर शांति से नहीं तो क्रांति से अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। उन्होंने 29 जून को फूलबाग मैदान में “भीमराव अग्निपथ महासभा” के आयोजन की घोषणा करते हुए कहा कि यह आंदोलन अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है।
प्रशासन द्वारा अनुमति निरस्त किए जाने के बावजूद भीम सेना अपने फैसले पर अडिग रही और दिल्ली समेत देशभर से उनके प्रतिनिधि ग्वालियर पहुंचने लगे। हालात को देखते हुए ग्वालियर को सुरक्षा घेरे में ले लिया गया और करीब 800 पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया गया। दिल्ली से सड़क मार्ग से आए भीम सेना के लगभग 50 वाहनों को ग्वालियर-मुरैना बॉर्डर पर रोक दिया गया, जिसके बाद वहां पुलिस और नेताओं के बीच लंबी बहस हुई। भीम सेना के नेताओं ने यह दावा किया कि उन्हें अपने अधिकारों से वंचित किया जा रहा है और भाजपा शासन में दलितों के साथ अन्याय हो रहा है। नवाब सतपाल सिंह तंवर ने जोर देकर कहा कि अंबेडकर की प्रतिमा हाईकोर्ट परिसर में ही स्थापित की जाएगी, चाहे इसके लिए उन्हें शांति का मार्ग अपनाना पड़े या क्रांति का। पुलिस प्रशासन ने स्पष्ट किया कि प्रदर्शन की कोई अनुमति नहीं दी गई थी, इसलिए ही संगठन को जिले की सीमा में प्रवेश नहीं करने दिया गया। एएसपी कृष्ण लालचंदानी के अनुसार भीम सेना से शांति पूर्वक ज्ञापन लेकर उसे न्यायालय को भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। ज्ञापन में प्रतिमा स्थापना की मांग प्रमुखता से उठाई गई है।