देश में गुड्स एंड टैक्स (GST) लागू 2017 से अब तक कई बार छोटे-छोटे बदलाव हो रहे हैं। लेकिन इस बार होने वाली बैठक में जीएसटी में सबसे बड़ा सुधार देखा जा रहा है। काउंसिल की 56वीं बैठक आज 3 और 4 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में होगी और इसमें कई बड़े फैसले लिए जा सकते हैं। आम तौर पर असहमत काउंसिलों में छोटी-छोटी मूर्तियों की चर्चा होती है, लेकिन इस बार की विशिष्टताएं अलग हैं। इसमें कर संशोधन में सुधार और अनुपालन (अनुपालन) को आसान बनाना जैसे विषय शामिल हैं। कहा जा रहा है कि इस बैठक से जीएसटी 2.0 की नींव रखी जाएगी, जिससे टैक्स सिस्टम को सरल और स्थिर बनाया जा सकेगा।
त्योहारों से पहले किताबों को राहत सरकार ने संकेत दिया है कि इस बैठक में जाने वाले फैसले आम किताबों और छुट्टियों दोनों को फायदा देंगे। टैक्स को आसान और स्थिर बनाया जाएगा, ताकि बाजार में सुविधाएं (खपत) बढ़े और त्योहारों के सीजन में लोगों को खरीदारी करने के लिए प्रोत्साहन मिले। छोटे और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए भी टैक्स से जुड़े सामानों को सरल बनाने पर जोर दें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल स्वतंत्रता दिवस की आजादी में जीएसटी सुधारों के नए चरण की जरूरत पर जोर दिया था। ऐसे में इस बैठक में सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि एक बड़े राजनीतिक और आर्थिक रोडमैप का भी हिस्सा है। यानी इसमें दिए गए फैसले से आने वाले वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था की दिशा तय की जा सकती है।
खबर है कि सभी खाद्य और मैटेरियल को 5% युवाओं में शामिल करने पर विचार किया जा रहा है। इससे इन सेक्टरों में बार-बार होने वाला विवाद खत्म हो जाएगा और निवेशकों के लिए भर्ती की वस्तुएं सूचीबद्ध हो सकती हैं।
परिषद में एक आधुनिक निजीकरण प्रणाली (अनुपालन प्रणाली) भी शामिल हो सकती है, जिसमें ये शामिल हैं- पहले से शामिल किए गए (पूर्व-भरे हुए) रिटर्न्स, एक्सपोर्टर्स और एमएसएमई के लिए ऑटोमेटेड मार्केट, एक जैसी लचीलापन प्रणाली (वर्गीकरण मानदंड) ताकि विवाद कम हो। ये बदलाव का समय और पैसा दोनों बचाएंगे और व्यापारी (जीएसटी नेटवर्क) में भरोसेमंद और मजबूत होंगे।
जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम 18% पर लगता है। मीटिंग में इसे कम करना या पूरी तरह से हटाना पर चर्चा हो सकती है। यदि ऐसा होता है तो लोगों को बीमा लेना आसान होगा और सरकार सभी के लिए सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य बीमा योजना को बढ़ावा देगी।आज जब दुनिया की अर्थव्यवस्था कई तरह की संभावनाओं से गुजर रही है, भारत खुद को एक मजबूत और स्थिर अर्थव्यवस्था के रूप में पेश कर रहा है। ऐसे में अगर बिजनेस-फ्रेंडली बिजनेस बनाया जाता है, तो यह न सिर्फ घरेलू व्यापार को बढ़ावा देता है, बल्कि भारत की वैश्विक छवि को भी और मजबूत बनाना चाहता है।