आज संसद के मानसून सत्र का आखिरी दिन था, और इस खास अवसर पर राहुल गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक साथ ‘चाय पार्टी’ में नजर आए। यह मुलाकात राजनीति में सौहार्द और संवाद की एक सकारात्मक झलक पेश करती है। इस दौरान राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी का खुले दिल से अभिवादन किया, जो दोनों नेताओं के बीच लोकतांत्रिक परंपराओं और सहमति की भावना को दर्शाता है।
चाय पार्टी के दौरान राहुल गांधी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बीच भी यूक्रेन की वर्तमान स्थिति पर महत्वपूर्ण बातचीत हुई। रक्षा मंत्री ने इस वैश्विक स्थिति पर नजर रखने की बात कही, जो देश की सुरक्षा नीति के लिए अहम माना जा रहा है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी ने भी कांग्रेस के भीतर प्रतिभाशाली नेताओं की तारीफ की, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि उन्हें बोलने का उचित मौका नहीं मिलता। यह बयान राजनीतिक दलों के भीतर संवाद और नेतृत्व की भूमिका पर चर्चा को जन्म दे सकता है।
इस बैठक में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू, पीयूष गोयल, अमित शाह समेत कई अन्य वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे। ओम बिरला ने मानसून सत्र के दौरान हुई कार्यवाही की रिपोर्ट साझा की और सदन की उत्पादकता पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने सदन में लगातार हो रहे हंगामों और शिष्टाचार की कमी पर चिंता व्यक्त की और सभी सांसदों से गरिमापूर्ण और रचनात्मक चर्चा करने का आह्वान किया।
मानसून सत्र की शुरुआत 21 जुलाई 2025 को हुई थी, और इस दौरान कुल 12 महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए गए। यह सत्र कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर गंभीर चर्चा का मंच साबित हुआ। आज के दिन संसद में नेताओं के बीच इस तरह का सौहार्दपूर्ण संवाद लोकतांत्रिक प्रणाली की मजबूती का प्रतीक माना जा रहा है।
इस प्रकार, आज की चाय पार्टी न केवल एक औपचारिक बैठक थी, बल्कि राजनीतिक सहमति और संवाद को बढ़ावा देने का भी संकेत है। राहुल गांधी और प्रधानमंत्री मोदी की यह मुलाकात दर्शाती है कि कठिन राजनीतिक परिस्थितियों के बीच भी संवाद की गुंजाइश बनी रहनी चाहिए। भविष्य में ऐसे संवाद देश की राजनीति को और भी अधिक पारदर्शी और लोकतांत्रिक बनाएंगे।