भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने बुधवार को एक ऐतिहासिक क्षण को जन्म दिया जब उन्होंने हरियाणा के अंबाला एयरफोर्स स्टेशन से भारतीय वायुसेना के अत्याधुनिक राफेल लड़ाकू विमान में उड़ान भरी। यह उड़ान करीब 20 मिनट तक चली और इस दौरान राष्ट्रपति ने भारतीय वायुसेना की आधुनिक युद्ध क्षमता और तकनीकी दक्षता को करीब से अनुभव किया। राष्ट्रपति की यह उड़ान न केवल एक औपचारिक कदम थी, बल्कि यह देश की सैन्य शक्ति, महिला सशक्तिकरण और भारत की सुरक्षा क्षमताओं के प्रति गर्व का प्रतीक भी बनी। राष्ट्रपति जिस राफेल विमान से उड़ान भर रही थीं, उसकी पायलट एक महिला अधिकारी थीं — जो इस मौके को और भी ऐतिहासिक बना गया।
गार्ड ऑफ ऑनर से हुआ स्वागत
राष्ट्रपति मुर्मु के अंबाला पहुंचने पर एयरफोर्स स्टेशन के जवानों ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इसके बाद वायुसेना अधिकारियों ने उन्हें राफेल विमान की तकनीकी विशेषताओं और उसकी उड़ान प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी। राष्ट्रपति ने फ्लाइट से पहले एयरबेस पर मौजूद जवानों से बातचीत की और उनके समर्पण की सराहना की।
20 मिनट की प्रतीकात्मक उड़ान
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने जिस राफेल विमान में उड़ान भरी, वह भारतीय वायुसेना के सबसे उन्नत फाइटर जेट्स में से एक है। लगभग 20 मिनट तक चली इस प्रतीकात्मक उड़ान के दौरान राष्ट्रपति ने न केवल भारत की हवाई शक्ति का अनुभव किया बल्कि महिला पायलट की मौजूदगी ने इस क्षण को और भी प्रेरणादायक बना दिया। वायुसेना के अधिकारियों ने बताया कि यह उड़ान पूर्ण सुरक्षा मानकों के तहत संचालित की गई थी और राष्ट्रपति ने पूरी प्रक्रिया में गहरी दिलचस्पी दिखाई।
ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के वायुवीरों को करेंगी सम्मानित
राष्ट्रपति मुर्मु इस दौरान ऑपरेशन सिंदूर से जुड़े वायुवीरों को सम्मानित भी करेंगी। यह अभियान भारतीय वायुसेना के गौरवपूर्ण अभियानों में से एक है, जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस कार्यक्रम में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज, समेत कई वरिष्ठ रक्षा अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे।
महिला सशक्तिकरण का प्रतीक
राष्ट्रपति की इस उड़ान का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह एक महिला राष्ट्रपति और महिला पायलट के नेतृत्व में संपन्न हुई। यह भारतीय वायुसेना में बढ़ती महिलाओं की भागीदारी और देश में बदलती सोच का प्रतीक है। राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि वायुसेना की महिला अधिकारी देश की लाखों बेटियों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने भारतीय वायुसेना की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्था देश की सीमाओं की रक्षा के साथ-साथ नागरिक जीवन में भी हर आपदा के समय आगे रहती है।
प्रतिभा पाटिल के बाद दूसरी राष्ट्रपति
यह पहली बार नहीं है जब किसी राष्ट्रपति ने लड़ाकू विमान में उड़ान भरी हो। इससे पहले वर्ष 2009 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने पुणे के लोहगांव एयरफोर्स बेस से सुखोई-30 एमकेआई विमान में उड़ान भरी थी। अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु यह उपलब्धि हासिल करने वाली देश की दूसरी राष्ट्रपति बन गई हैं।
वायुसेना की आधुनिक ताकत का प्रदर्शन
राफेल विमानों को भारतीय वायुसेना में शामिल हुए अब तीन से अधिक वर्ष हो चुके हैं और यह जेट आज भारत की हवाई सीमाओं की सबसे मजबूत ढाल मानी जाती है। राष्ट्रपति की यह उड़ान देश के नागरिकों को यह संदेश देती है कि भारत रक्षा तकनीक के क्षेत्र में किसी भी विकसित देश से पीछे नहीं है।
राष्ट्रपति का संदेश
राष्ट्रपति मुर्मु ने इस अवसर पर कहा, “भारतीय वायुसेना हमारे राष्ट्र की गौरवशाली संस्था है, जो हर परिस्थिति में देश की रक्षा में तत्पर रहती है। आज राफेल विमान में उड़ान भरना मेरे लिए गर्व का क्षण है। मैं उन सभी वायुवीरों को नमन करती हूं जो दिन-रात हमारी सुरक्षा के लिए समर्पित हैं।” राष्ट्रपति की यह उड़ान न केवल वायुसेना की शक्ति का प्रतीक बनी, बल्कि यह भारत में महिलाओं की बढ़ती भूमिका, सैन्य सम्मान और तकनीकी आत्मनिर्भरता का भी शानदार उदाहरण पेश करती है। अंबाला के आसमान में उड़ता राफेल, राष्ट्रपति मुर्मु और महिला पायलट — यह दृश्य आने वाले वर्षों तक भारतीय इतिहास के गौरवपूर्ण पन्नों में दर्ज रहेगा।