भारतीय महिला क्रिकेट के लिए 30 दिसंबर 2025 की रात ऐतिहासिक सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गई। तिरुवनंतपुरम के ग्रीनफील्ड इंटरनेशनल स्टेडियम में श्रीलंका के खिलाफ खेले गए पांचवें और अंतिम टी20 मुकाबले में स्टार ऑलराउंडर दीप्ति शर्मा ने वह कारनामा कर दिखाया, जो आज तक विश्व क्रिकेट का कोई भी दिग्गज नहीं कर सका था। दीप्ति अब महिला टी20 इंटरनेशनल क्रिकेट के इतिहास में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली गेंदबाज बन गई हैं।
मेगन शट का रिकॉर्ड ध्वस्त
इस मुकाबले से पहले दीप्ति शर्मा और ऑस्ट्रेलिया की दिग्गज गेंदबाज मेगन शट 151-151 विकेटों के साथ बराबरी पर थीं। मैच के 14वें ओवर में जैसे ही दीप्ति ने श्रीलंका की नीलाक्षी सिल्वा को पवेलियन की राह दिखाई, उन्होंने 152 विकेट पूरे कर मेगन शट के वर्ल्ड रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया। दीप्ति की यह उपलब्धि इसलिए भी खास है क्योंकि वे वर्तमान में आईसीसी टी20 रैंकिंग में दुनिया की नंबर-1 गेंदबाज भी हैं।
भारत की पहली '150 विकेट' क्लब सदस्य
दीप्ति शर्मा ने न केवल महिला क्रिकेट बल्कि भारतीय क्रिकेट (पुरुष और महिला दोनों वर्ग) के इतिहास में एक नया मील का पत्थर स्थापित किया है। वे 150 टी20 इंटरनेशनल विकेट लेने वाली पहली भारतीय गेंदबाज बन गई हैं। पुरुषों में युजवेंद्र चहल जैसे दिग्गज भी अभी इस आंकड़े से दूर हैं। दीप्ति ने यह जादुई आंकड़ा इसी सीरीज के तीसरे मैच में कविशा दिलहारी का विकेट लेकर छुआ था।
अद्भुत ऑलराउंड रिकॉर्ड: 1000 रन और 150 विकेट
दीप्ति शर्मा की महानता सिर्फ उनकी गेंदबाजी तक सीमित नहीं है। वे दुनिया की इकलौती क्रिकेटर (महिला या पुरुष) बन गई हैं जिन्होंने टी20 इंटरनेशनल में 1000 से ज्यादा रन और 150 से ज्यादा विकेट का 'डबल' पूरा किया है।
उनके बल्लेबाजी आंकड़ों पर नजर डालें तो:
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कुल रन: 1100 से अधिक
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औसत: 23.40
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स्ट्राइक रेट: 104.26
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अर्धशतक: 02
महिला टी20 इंटरनेशनल: टॉप-5 विकेट लेने वाली खिलाड़ी
| खिलाड़ी |
देश |
विकेट |
| दीप्ति शर्मा |
भारत |
152 |
| मेगन शट |
ऑस्ट्रेलिया |
151 |
| निदा डार |
पाकिस्तान |
144 |
| हेनरीट इशिमवे |
रवांडा |
144 |
| सोफी एक्लेस्टोन |
इंग्लैंड |
142 |
निष्कर्ष
दीप्ति शर्मा का यह सफर निरंतरता और कड़ी मेहनत की मिसाल है। ऑफ स्पिन गेंदबाजी में अपनी सटीकता और निचले क्रम में उपयोगी बल्लेबाजी के दम पर उन्होंने भारतीय टीम को कई यादगार जीत दिलाई हैं। 27 वर्ष की उम्र में वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम करना यह दर्शाता है कि आने वाले समय में वे इस आंकड़े को एक ऐसे स्तर पर ले जा सकती हैं, जिसे तोड़ना नामुमकिन होगा।