हेल्थकेयर और डायग्नोस्टिक सेक्टर की बढ़ती संभावनाओं के बीच, मॉर्डन डायग्नोस्टिक एंड रिसर्च सेंटर लिमिटेड (Modern Diagnostic & Research Centre Limited) अपना आईपीओ (IPO) लेकर आ रही है। साल 2025 के समापन और 2026 की शुरुआत के मोड़ पर आने वाला यह इश्यू निवेशकों के लिए इस साल का आखिरी और बेहद महत्वपूर्ण अवसर साबित हो सकता है। यह 36.89 करोड़ रुपये का बुक बिल्ट इश्यू है, जो पूरी तरह से फ्रेश शेयरों पर आधारित है।
आइए इस आईपीओ की प्रमुख बारीकियों, कंपनी के प्रोफाइल और भविष्य की योजनाओं पर विस्तार से चर्चा करते हैं:
आईपीओ की महत्वपूर्ण तारीखें
मॉर्डन डायग्नोस्टिक का आईपीओ निवेश के लिए 31 दिसंबर 2025 को खुलेगा। निवेशक इस इश्यू में 2 जनवरी 2026 तक बोली लगा सकेंगे। बोली प्रक्रिया समाप्त होने के बाद, शेयरों का अलॉटमेंट 5 जनवरी 2026 को होने की उम्मीद है। वहीं, शेयर बाजार के मुख्य प्लेटफॉर्म बीएसई (BSE) और एनएसई (NSE) पर कंपनी के शेयरों की लिस्टिंग 7 जनवरी 2026 को प्रस्तावित है।
प्राइस बैंड और निवेश का गणित
कंपनी ने अपने आईपीओ के लिए प्रति शेयर 85 रुपये से 90 रुपये का प्राइस बैंड निर्धारित किया है।
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लॉट साइज: एक लॉट में 1600 शेयर शामिल होंगे।
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रिटेल निवेश: रिटेल निवेशकों के लिए कम से कम दो लॉट (3200 शेयर) के लिए आवेदन करना अनिवार्य होगा। अपर प्राइस बैंड (90 रुपये) के हिसाब से एक रिटेल निवेशक को कम से कम 2.88 लाख रुपये का निवेश करना होगा।
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HNI कोटा: हाई नेट-वर्थ इंडिविजुअल्स (HNI) के लिए कम से कम 3 लॉट आरक्षित रखे गए हैं।
कंपनी का परिचय और विशेषज्ञता
1985 में स्थापित हुई मॉर्डन डायग्नोस्टिक एंड रिसर्च सेंटर देश की पुरानी और प्रतिष्ठित डायग्नोस्टिक चेन्स में से एक है। कंपनी मेडिकल टेस्ट और रेडियोलॉजी के माध्यम से बीमारियों की सटीक पहचान करने में विशेषज्ञता रखती है।
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सेवाएं: कंपनी पैथोलॉजी (फॉरेंसिक, एनाटॉमिकल और मॉलिक्यूलर) के साथ-साथ रेडियोलॉजी सेवाओं जैसे X-Ray, अल्ट्रासाउंड, CT Scan, MRI और मैमोग्राफी की विस्तृत श्रृंखला प्रदान करती है।
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नेटवर्क: वर्तमान में कंपनी का विस्तार देश के 8 राज्यों में है, जहाँ इसके 21 केंद्र (17 लेबोरेट्री और 4 डायग्नोस्टिक सेंटर) संचालित हैं।
आईपीओ फंड का उपयोग
आईपीओ के जरिए जुटाई गई 36.89 करोड़ रुपये की राशि का इस्तेमाल कंपनी अपनी विस्तार योजनाओं और वित्तीय मजबूती के लिए करेगी:
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मेडिकल इक्विपमेंट: मौजूदा डायग्नोस्टिक सेंटर्स और प्रयोगशालाओं के लिए उन्नत चिकित्सा उपकरण खरीदना।
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ऋण भुगतान: कंपनी द्वारा पूर्व में लिए गए कर्ज को चुकाकर वित्तीय बोझ कम करना।
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वर्किंग कैपिटल: दैनिक परिचालन और कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करना।
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कॉर्पोरेट उद्देश्य: सामान्य कॉर्पोरेट खर्चों और भविष्य की रणनीतिक पहलों में निवेश करना।