आतंक, आतंकवाद और पाकिस्तान—तीनों के बीच वर्षों से एक गहरा और खतरनाक रिश्ता बना हुआ है। पाकिस्तान को लंबे समय से आतंकवाद को संरक्षण देने वाला देश माना जाता है। इस देश ने जिस प्रकार आतंकवाद को राजनीतिक हथियार बनाया है, उसने न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व की शांति को चुनौती दी है। पाकिस्तान की सरजमीं पर आतंकी संगठनों के शिविर, उग्रवादी विचारधारा, और खुफिया एजेंसियों का प्रत्यक्ष समर्थन एक वैश्विक चिंता का विषय बन चुका है।
पाकिस्तान: आतंक की फैक्ट्री
पाकिस्तान दशकों से आतंकियों को पलने-पोसने और प्रशिक्षित करने की जमीन प्रदान करता आया है। दुनिया के कई देशों ने समय-समय पर पाकिस्तान को आतंकी राष्ट्र घोषित करने की मांग की है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि पाकिस्तान में पनप रहे आतंकवादियों ने केवल भारत में ही नहीं, बल्कि रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, अफगानिस्तान, ईरान और बांग्लादेश जैसे देशों में भी आतंक का तांडव मचाया है।
भारत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहल
हाल ही में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंच पर फिर से मोर्चा खोल दिया है। भारत ने दुनिया को बताया कि पाकिस्तान सरकार द्वारा समर्थित आतंकवादी समूह वैश्विक आतंकवादी हमलों की योजना बनाते हैं और उन्हें अंजाम भी देते हैं। अमेरिका के विदेश विभाग की वर्ष 2019 की रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया था कि पाकिस्तान क्षेत्रीय आतंकवादी समूहों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह बना हुआ है।
मास्को हमले से जुड़ा पाकिस्तान
2024 में रूस के मास्को में एक कॉन्सर्ट हॉल पर हुए आतंकी हमले में भी पाकिस्तान का नाम सामने आया। अप्रैल 2025 में रूसी अधिकारियों ने पुष्टि की कि इस हमले के मास्टरमाइंड को पाकिस्तानी नेटवर्क से फंडिंग मिली थी। यह प्रमाण है कि पाकिस्तान का आतंकी नेटवर्क केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सक्रिय है।
पाकिस्तान की कबूलनामे
पाकिस्तान के कई पूर्व नेताओं ने खुद स्वीकार किया है कि देश की जमीन का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए होता रहा है।
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2018 में नवाज शरीफ ने माना था कि 2008 के मुंबई हमलों में पाकिस्तान की भूमिका थी।
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परवेज मुशर्रफ, जो सेना प्रमुख और राष्ट्रपति रह चुके हैं, ने भी यह कबूला कि पाकिस्तान की सेना कश्मीर में भारत के खिलाफ लड़ने के लिए आतंकवादियों को प्रशिक्षण देती है।
अफगानिस्तान, अमेरिका और ब्रिटेन में पाकिस्तान की भूमिका
अफगानिस्तान में तालिबान और हक्कानी नेटवर्क को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का समर्थन रहा है।
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2008 और 2011 में काबुल स्थित भारतीय और अमेरिकी दूतावासों पर हमले पाकिस्तान की ISI के इशारे पर हुए थे।
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ब्रिटिश पत्रकार कार्लोटा गैल ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि यह हमले ISI के शीर्ष अधिकारियों की निगरानी में किए गए थे।
ईरान का बदला
जनवरी 2024 में ईरान ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान में मिसाइल और ड्रोन हमले किए। टारगेट था पाकिस्तान में स्थित सुन्नी आतंकवादी संगठन जैश उल-अदल। ईरान का आरोप था कि पाकिस्तान सीमा पार हमले करने वाले आतंकवादियों को पनाह देता है और उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करता।
लंदन और अमेरिका के आतंकी हमले
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7 जुलाई 2005, लंदन बम धमाके—इस हमले को अंजाम देने वाले ब्रिटिश इस्लामिस्ट आतंकवादी पाकिस्तान में ट्रेनिंग ले चुके थे।
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9/11 हमले के मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान ने पनाह दी थी और अमेरिका ने ऐबटाबाद में घुसकर उसे मार गिराया।
बांग्लादेश और JMB नेटवर्क
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI पर जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) को वित्तीय और सैन्य समर्थन देने का आरोप है।
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2016 में ढाका में हुए गुलशन कैफे हमले में JMB की भूमिका थी।
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2020 की खुफिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि पाकिस्तान ने JMB के जरिए रोहिंग्या शरणार्थियों को भारत में घुसपैठ के लिए ट्रेनिंग दी थी।
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भारत के पश्चिम बंगाल और केरल में JMB के स्लीपर सेल सक्रिय हैं।
पाकिस्तान के आतंकी ट्रेनिंग कैंप
पाकिस्तान ने अपने कब्जे वाले कश्मीर (PoK), पंजाब, खैबर पख्तूनख्वा और वजीरिस्तान में आतंकी ट्रेनिंग शिविर बनाए हैं। इन कैंपों में लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM), हिजबुल मुजाहिदीन (HM) और ISIS-खोरासन जैसे संगठन ट्रेनिंग देते हैं। इन शिविरों को पाकिस्तानी सेना के पूर्व अफसर भी सहयोग देते हैं।
निष्कर्ष
पाकिस्तान वर्षों से आतंक का एपिसेंटर बना हुआ है। उसकी नीति "आतंक को समर्थन, इनकार और इस्तेमाल" पर आधारित रही है। भारत सहित दुनिया के कई देशों को अब पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर आतंकवादी राष्ट्र घोषित कराने की दिशा में निर्णायक पहल करनी होगी। जब तक पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर दबाव और अलगाव का सामना नहीं करना पड़ेगा, तब तक उसका आतंकवाद को समर्थन देना नहीं रुकेगा।