राहत और चिंता के बीच फंसे विश्व के सबसे संवेदनशील क्षेत्र में एक बार फिर जंग छिड़ गई है। ईरान और इजरायल के बीच चल रही इस सशस्त्र टकराव ने वैश्विक राजनीतिक और सुरक्षा माहौल को भारी रूप से प्रभावित कर दिया है। पिछले दो दिनों से दोनों देशों के बीच लगातार हवाई और मिसाइल हमले हो रहे हैं, जिनमें भारी जानमाल का नुकसान हो चुका है। आइए जानते हैं इस जंग की पूरी कहानी और इसके प्रभाव।
इजरायल ने ईरान पर किया पहला हमला
शुक्रवार की सुबह इजरायल ने ईरान की राजधानी तेहरान में अचानक मिसाइल और ड्रोन अटैक किए। इस हमले का मुख्य उद्देश्य ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाना था। इजरायल का आरोप है कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम के जरिये क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा बन रहा है। इस हमले में ईरान के चार न्यूक्लियर और दो मिलिट्री ठिकानों को नुकसान पहुंचाया गया। साथ ही इस हमले में करीब 70 से अधिक लोग मारे गए और 300 से ज्यादा घायल हुए।
विशेष रूप से इस हमले में ईरान के छह शीर्ष न्यूक्लियर वैज्ञानिक, चार मिलिट्री कमांडर और लगभग 20 सैन्य अधिकारी भी मारे गए हैं। यह इजरायल की उस चिंतित नीति का हिस्सा है, जिसमें वह ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए हर संभव कदम उठा रहा है।
ईरान का करारा जवाब
इजरायल के हमले के कुछ ही घंटे बाद शुक्रवार दोपहर को ईरान ने इजरायल पर 100 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला कर दिया। ईरानी सेना ने इस हमले में तेल अवीव, जेरुसलम और अन्य क्षेत्रों को निशाना बनाया।
ईरानी मिसाइल हमलों के चलते इजरायल के कई घर और नागरिक संरचनाएं ध्वस्त हो गईं, जिससे कम से कम 10 लोग घायल हुए हैं। इजरायल की सेना ने अपनी जनता से तत्काल सुरक्षित स्थानों, शेल्टर होम्स और बंकर्स में जाने की अपील की है, क्योंकि रक्षा प्रणाली पूरी तरह अभेद्य नहीं है।
इजरायल ने अमेरिकी तकनीक का इस्तेमाल करते हुए इन मिसाइलों को मार गिराने के प्रयास किए हैं। विशेष तौर पर अमेरिका के टर्मिनल हाई-एल्टिट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD) सिस्टम ने कई मिसाइलों को पृथ्वी के वायुमंडल के बाहर ही नष्ट कर दिया। यह प्रणाली अक्टूबर 2024 में इजरायल में तैनात की गई थी।
वैश्विक प्रतिक्रियाएं और कूटनीतिक दबाव
इस युद्ध की शुरुआत के साथ ही विश्वभर के देशों ने इस स्थिति पर चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र संघ में जब इस मामले पर चर्चा हुई, तो चीन ने स्पष्ट रूप से ईरान का समर्थन किया और इजरायल के हमलों की निंदा की। चीन के डिप्लोमैट फू कांग ने कहा कि इजरायल ने ईरान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन किया है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी दोनों देशों से संयम बरतने और शांति की अपील की। पुतिन ने कहा कि रूस मध्यस्थता करके विवाद सुलझाने को तैयार है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह तनाव और बढ़ा, तो इसका खतरनाक असर न सिर्फ इस क्षेत्र बल्कि पूरे विश्व पर पड़ेगा।
जंग के मानवीय और क्षेत्रीय प्रभाव
इजरायल और ईरान के इस सैन्य टकराव से न केवल दोनों देशों में भारी तबाही हुई है, बल्कि पूरे मध्य पूर्व में तनाव की स्थिति पैदा हो गई है। कई रिहायशी इलाकों में तो शेल्टर होम्स और बंकर्स खोले गए हैं, क्योंकि आम जनता को लगातार मिसाइल हमलों से बचना पड़ रहा है।
सैकड़ों लोग घायल हुए हैं, कई घरों को नुकसान पहुंचा है, और शहरों की आर्थिक गतिविधियां भी ठप हो गई हैं। सैन्य ठिकानों के साथ-साथ नागरिकाें की सुरक्षा भी सबसे बड़ा सवाल बन गया है।
आगे की संभावना और विश्व की निगाहें
हालांकि दोनों देशों ने अभी तक पूर्ण युद्ध की घोषणा नहीं की है, लेकिन इस टकराव का विस्तार और भयंकर होना आशंका जताई जा रही है। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि जल्द ही कोई राजनयिक समाधान नहीं निकला तो यह जंग पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र को एक बड़े संघर्ष की आग में झोंक सकती है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस वक्त रूस, अमेरिका, चीन और संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से शांति स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन क्षेत्रीय शक्तियों के बीच गहरे मतभेद और ऐतिहासिक दुश्मनी इस प्रयास को जटिल बना रही है।