अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लॉस एंजेलिस में अवैध अप्रवासियों से जुड़ी हिंसा और दंगों के दौरान बड़ा झटका मिला है। उन्होंने बढ़ती अशांति को नियंत्रित करने के लिए 4000 नेशनल गार्ड्स और 70 मरीन सैनिकों की तैनाती की थी। यह कदम उन्होंने संघीय अधिकार का उपयोग कर उठाया, लेकिन कैलिफोर्निया सरकार की अनुमति के बिना।
इसके जवाब में, कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूसम ने इस निर्णय को राज्य की स्वायत्तता के खिलाफ बताया और कोर्ट में मुकदमा दायर किया। फेडरल कोर्ट ने इस मामले में न्यूसम के पक्ष में फैसला सुनाते हुए ट्रंप की सैन्य तैनाती को असंवैधानिक घोषित कर दिया।
कोर्ट का क्या कहना है?
फेडरल कोर्ट ने अपने फैसले में कहा:
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नेशनल गार्ड्स की तैनाती राज्य की सहमति के बिना अवैध है।
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संघीय सरकार केवल आपातकाल की स्थिति में बिना राज्य अनुमति सैन्य बल भेज सकती है, वो भी संविधान के दायरे में।
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ट्रंप द्वारा उठाया गया कदम संविधान की धारा 10 (Tenth Amendment) के उल्लंघन के रूप में देखा गया।
🇺🇸 यह मामला क्यों महत्वपूर्ण है?
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राज्य बनाम संघीय अधिकारों की लड़ाई:
यह मामला दिखाता है कि अमेरिका में राज्य सरकारों की स्वतंत्रता कितनी अहम है।
राष्ट्रपति भी राज्य की सहमति के बिना सैन्य बल नहीं भेज सकते।
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आव्रजन नीति पर सियासी खिंचतान:
ट्रंप प्रशासन का हमेशा से रुख रहा है कि अवैध अप्रवासियों पर सख्त कार्रवाई हो।
वहीं, कैलिफोर्निया जैसे राज्य मानवाधिकार और अप्रवासी हितों के पक्षधर हैं।
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राजनीतिक नतीजे:
कोर्ट के फैसले से ट्रंप की कानून व्यवस्था की सख्त छवि को झटका लगा है।
इससे 2024 या 2028 के चुनावी समीकरणों पर भी असर पड़ सकता है।
गवर्नर गेविन न्यूसम का तर्क
गवर्नर न्यूसम ने कहा:
"यह कार्रवाई न केवल राज्य की स्वायत्तता का उल्लंघन थी, बल्कि यह स्थानीय प्रशासन और नागरिकों के अधिकारों के खिलाफ थी।"
उन्होंने यह भी कहा कि यह तैनाती राजनीतिक फायदा लेने के लिए की गई थी, न कि वास्तविक शांति बहाल करने के लिए।
व्हाइट हाउस की प्रतिक्रिया?
फैसले के बाद व्हाइट हाउस या ट्रंप की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
लेकिन अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि ट्रंप इसे "न्यायपालिका की अति-हस्तक्षेप" के रूप में प्रचारित कर सकते हैं।
निष्कर्ष: क्या संदेश गया?
यह पूरा मामला अमेरिका में लोकतंत्र, संविधान और शक्तियों के संतुलन की जीवंत मिसाल है।
राज्य सरकारों के अधिकारों की रक्षा और राष्ट्रपति की शक्तियों की सीमा रेखा तय करने के लिहाज से यह फैसला ऐतिहासिक है।
क्या आगे होगा?
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ट्रंप इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं।
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डेमोक्रेट्स इसे संवैधानिक जीत के रूप में भुनाने की कोशिश करेंगे।
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और यह मामला आने वाले चुनावों में राजनीतिक बहस का अहम मुद्दा बन सकता है।