पाकिस्तान में चरमपंथी इस्लामी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के नेतृत्व में फिलिस्तीन समर्थक और गाजा शांति योजना के विरोध में हो रहे 'लॉन्ग मार्च' के दौरान देश के कई हिस्सों में, खासकर लाहौर में, बड़े पैमाने पर हिंसा और झड़पें हुई हैं। सोमवार को राजधानी इस्लामाबाद की ओर बढ़ रहे TLP समर्थकों और पुलिस के बीच हुई हिंसक भिड़ंत के कारण शहर का सामान्य जनजीवन लगभग ठप हो गया।
प्रदर्शनकारियों ने शुक्रवार को पूर्वी पाकिस्तान से शुरू हुए इस मार्च के दौरान लाहौर में बैरिकेड हटाने का प्रयास किया, जिसके बाद पुलिस के साथ उनकी तीखी झड़प हुई। हालात को काबू में करने के लिए सुरक्षा बलों को बल प्रयोग करना पड़ा, जिसमें आंसू गैस के गोले दागे गए। इन झड़पों में एक पुलिस अधिकारी की मौत की खबर है, जिसकी पुष्टि पंजाब प्रांत के पुलिस प्रमुख उस्मान अनवर ने की है। उन्होंने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने अधिकारियों पर गोलीबारी की, जिससे अधिकारी हताहत हुआ और कई अन्य घायल भी हुए।
दूसरी ओर, TLP ने दावा किया है कि पुलिस की गोलीबारी में उनके कई समर्थक मारे गए हैं और बड़ी संख्या में घायल हुए हैं। संगठन ने यह भी आरोप लगाया है कि TLP प्रमुख साद रिजवी को भी कथित तौर पर कई गोलियां लगी हैं और उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। झड़पों से पहले रिजवी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया गया था, जिसमें वे सुरक्षा बलों से गोलीबारी रोकने और बातचीत के लिए तैयार होने का आग्रह कर रहे थे।
हिंसा के दौरान सोशल मीडिया पर वायरल हुए दृश्यों में जलते हुए वाहन दिखाई दे रहे हैं, जिनमें TLP कार्यकर्ताओं को ले जा रहा एक ट्रक भी शामिल है। प्रदर्शनकारी इस्लामाबाद स्थित अमेरिकी दूतावास के बाहर फिलिस्तीन के समर्थन में एक बड़ी रैली आयोजित करने पर अड़े हुए थे, जिसके चलते पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने का अभियान चलाया। इस अभियान के दौरान ही उन्हें गोलीबारी का सामना करना पड़ा। अधिकारियों ने पहले ही एहतियात के तौर पर शनिवार को एक विरोध प्रदर्शन के दौरान 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया था।
TTP, जिसने पाकिस्तान के 2018 के चुनावों में देश के विवादास्पद ईशनिंदा कानून के बचाव के एकमात्र मुद्दे पर प्रचार करके प्रमुखता हासिल की थी, तब से कई हिंसक रैलियां कर चुका है। यह संगठन विशेष रूप से विदेशों में इस्लाम की पवित्र पुस्तक, कुरान के अपमान के खिलाफ मुखर रहा है। मौजूदा विरोध प्रदर्शन गाजा शांति योजना के प्रति पाकिस्तान सरकार के कथित समर्थन को लेकर TLP के गहरे असंतोष को दर्शाता है, जिसे कट्टरपंथी समूह फिलिस्तीन के लिए हानिकारक मानता है।
हिंसक झड़पों के बाद लाहौर से मुरीदके कस्बे तक तनाव बना रहा, जहां TLP समर्थक पुलिस से भिड़ने के बाद डेरा डाले हुए थे। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए बड़े पैमाने पर सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है। अधिकारियों के सामने इस कट्टरपंथी समूह के विरोध को नियंत्रित करने की एक बड़ी चुनौती खड़ी है, जिसका हिंसा का इतिहास रहा है और जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए लगातार खतरा बना हुआ है।