हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान की जमकर तारीफ की है, जो भारतीय मीडिया और राजनीति में चर्चा का विषय बना हुआ है। ट्रंप ने हाल ही में व्हाइट हाउस में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और फील्ड मार्शल असीम मुनीर से मुलाकात की, जिसके बाद वे पाकिस्तान की इतनी तारीफ करने लगे कि मात्र दो दिनों में उन्होंने पाकिस्तान के बारे में दो बार अपनी प्रशंसा जाहिर की।
ट्रंप का भारत-पाकिस्तान युद्ध रुकवाने का दावा
डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से जोर देकर कहा कि उनकी पहल के कारण भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध बंद हुआ। उन्होंने यह दावा किया कि युद्ध के दौरान सात लड़ाकू विमानों को मार गिराया गया था। ट्रंप के इस दावे को भारत सरकार ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है और इसे तथ्यहीन बताया है।
हालांकि, ट्रंप अब तक करीब 50 बार इस दावे को दोहरा चुके हैं, जिससे यह स्पष्ट है कि वे इस मुद्दे को अपनी राजनीतिक पहचान का हिस्सा बनाना चाहते हैं। उनका यह दावा न केवल भारत के लिए विवादास्पद है, बल्कि क्षेत्रीय शांति के लिए भी एक जटिल विषय बना हुआ है।
पाकिस्तान के साथ बढ़ता ट्रंप का लगाव
ट्रंप की पाकिस्तान के प्रति बढ़ती सकारात्मकता पिछले कुछ हफ्तों में काफी स्पष्ट हुई है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और फील्ड मार्शल असीम मुनीर के व्हाइट हाउस दौरे के बाद ट्रंप ने बार-बार पाकिस्तान की प्रशंसा की है। यह मुलाकात और तारीफें भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच आई हैं, जिससे भारत के लिए यह स्थिति चिंताजनक हो गई है।
ट्रंप ने शहजादे शरीफ और असीम मुनीर की प्रशंसा करते हुए उन्हें “शांति के दूत” बताया और कहा कि वे क्षेत्रीय स्थिरता के लिए काम कर रहे हैं। इस तरह की बातें अमेरिकी राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे रही हैं।
नोबेल शांति पुरस्कार की निराशा
ट्रंप ने यह भी व्यक्त किया कि उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलने पर वे निराश हैं। उन्होंने दावा किया कि उनकी शांति प्रयासों को उचित मान्यता नहीं मिली। यह बयान उनके राजनीतिक करियर का एक ऐसा हिस्सा बन गया है, जो विवादों और आलोचनाओं का केंद्र बना हुआ है।
ट्रंप की इस निराशा का कारण यह है कि वे अपने शांति प्रयासों को विश्व स्तर पर मान्यता देना चाहते हैं, खासकर भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने के अपने दावे के संदर्भ में।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने ट्रंप के दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि ट्रंप के ये बयान वास्तविकता से दूर हैं और इससे क्षेत्रीय शांति को नुकसान पहुंच सकता है। भारत ने बार-बार कहा है कि द्विपक्षीय मुद्दे दोनों देशों के बीच बातचीत के माध्यम से ही हल किए जाने चाहिए, न कि बाहरी हस्तक्षेप से।
भारत ने ट्रंप के पाकिस्तान पक्षपाती रवैये को भी गंभीरता से लिया है और इसे अपने हितों के खिलाफ माना है।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप की पाकिस्तान की तारीफ और भारत-पाक युद्ध रुकवाने के उनके दावे ने क्षेत्रीय राजनीति में नई उथल-पुथल मचा दी है। जबकि ट्रंप इस पर ज़ोर देते हैं कि वे शांति के लिए काम कर रहे हैं, भारत इस दावे को खारिज करता है और इस पर सवाल उठाता है। आने वाले समय में इस विवाद का क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्या असर होगा, यह देखना दिलचस्प होगा।