12 मई 2025, रविवार का दिन भारत की सैन्य रणनीति और संयम का एक अहम उदाहरण बन गया। भारतीय सेना ने पहली बार यह स्वीकार किया कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के महज 96 घंटे बाद ही नौसेना पूरी तरह कराची पर हमला करने के लिए तैयार थी। यह जानकारी वाइस एडमिरल एएन प्रमोद ने एक प्रेस वार्ता में साझा की। उन्होंने बताया कि नौसेना के पास हथियार, योजना और ज़मीन-समंदर पर दुश्मन को निशाना बनाने की पूरी तैयारी थी—बस आदेश की प्रतीक्षा थी।
पहलगाम हमला: एक निर्णायक मोड़
पहलगाम में आतंकियों ने भारतीय सुरक्षाबलों पर कायराना हमला कर कई जवानों की जान ली थी। इस हमले से पूरे देश में गुस्सा था और जवाबी कार्रवाई की मांग उठ रही थी। भारतीय सेना के तीनों अंगों—थल सेना, वायुसेना और नौसेना—ने एकजुट होकर संभावित कार्रवाई की योजना बनानी शुरू कर दी थी।
इस घटना के मात्र 96 घंटे बाद, यानी 9 मई की रात को, भारतीय नौसेना ने अरब सागर में अपनी रणनीतिक तैनाती कर ली थी और कराची पर निर्णायक हमला करने के लिए पूरी तरह तैयार थी।
नौसेना की रणनीतिक तैनाती और शक्ति प्रदर्शन
प्रेस वार्ता में डायरेक्टर जनरल ऑफ नेवल ऑपरेशंस (DGNO) वाइस एडमिरल एएन प्रमोद ने बताया कि भारतीय नौसेना ने कराची पोर्ट, पाकिस्तान की नौसैनिक अड्डों और सैन्य प्रतिष्ठानों को चिन्हित कर लिया था। इस ऑपरेशन में केवल समुद्री हमले ही नहीं, बल्कि समुद्र के नज़दीक स्थित जमीनी ठिकानों को भी निशाना बनाने की योजना थी।
उन्होंने कहा,
“हमारे युद्धपोत और पनडुब्बियां अरब सागर में सक्रिय थीं। हमने कराची समेत पाकिस्तान के समुद्री ठिकानों की रियल-टाइम निगरानी की और कार्रवाई के लिए तैयार रहे। इंडियन नेवी पाकिस्तान की नौसेना और एयर यूनिट्स को डिफेंसिव मोड में ले आई थी।”
सरकार का संयम: एक रणनीतिक निर्णय
हालांकि नौसेना तैयार थी, लेकिन सरकार ने तुरंत प्रतिक्रिया न देकर रणनीतिक संयम बरता। भारत सरकार के सुरक्षा सलाहकारों और उच्च अधिकारियों ने यह फैसला किया कि पहले आतंकियों के ठिकानों और ट्रेनिंग कैम्पों की जानकारी जुटाई जाए, ताकि कार्रवाई सटीक और निर्णायक हो।
लगभग 15 दिन बाद, खुफिया जानकारी के आधार पर सटीक सैन्य ऑपरेशन को अंजाम दिया गया, जिसमें पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाकों में स्थित आतंकी ठिकानों को पूरी तरह तबाह कर दिया गया।
यह कार्रवाई दर्शाती है कि भारत केवल प्रतिक्रिया में काम नहीं करता, बल्कि रणनीतिक सोच और समय की उचित गणना के आधार पर आगे बढ़ता है।
पाकिस्तान को लगातार जवाब: इंडियन नेवी सतर्क
एएन प्रमोद ने आगे कहा कि भारतीय नौसेना की जवाबी रणनीति सिर्फ एक बार की कार्रवाई नहीं थी। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान की हर आक्रामकता का तुरंत और करारा जवाब देने के लिए नौसेना लगातार समुद्र में तैनात है। उन्होंने कहा,
“हमारी तैनाती नपी-तुली, जिम्मेदार और प्रभावी है। पाकिस्तान की नौसेना और एरियल यूनिट्स को हमने बंदरगाहों के अंदर सीमित रहने पर मजबूर किया। वे तटों के बहुत करीब संचालित हो रहे हैं, क्योंकि हम हर गतिविधि पर नजर रख रहे हैं।”
नौसेना की तकनीकी और रणनीतिक श्रेष्ठता
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि भारतीय नौसेना तकनीकी, रणनीतिक और सामरिक रूप से विश्व की शीर्ष सेनाओं में शामिल है। नौसेना के पास:
इन सभी संसाधनों के साथ भारत न केवल समुद्र में अपनी संप्रभुता को सुरक्षित रख सकता है, बल्कि किसी भी प्रकार की विदेशी आक्रामकता का माकूल जवाब देने में भी सक्षम है।
भारतीय सेना का नया रुख: जवाब पहले दिन से
वाइस एडमिरल प्रमोद ने कहा कि भारत अब पहली गोली का इंतजार नहीं करता। उन्होंने कहा कि अगर दुश्मन ने खतरे की कोई भी आहट दी, तो भारत उसे समझकर पहले दिन से ही कार्रवाई करता है।
उन्होंने बताया कि भारत ने इस बार “गंभीरता और संयम” दोनों के साथ काम किया, जिससे न केवल दुश्मन को जवाब मिला, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि एक जिम्मेदार परमाणु शक्ति की बनी रही।
कूटनीति और सैन्य शक्ति का संतुलन
सरकार ने जहां एक तरफ सैनिक कार्रवाई को अंजाम दिया, वहीं दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति को भी संभाले रखा। संयमित सैन्य कार्रवाई और कूटनीतिक शालीनता ने यह साबित किया कि भारत अब केवल "reactive" नहीं, बल्कि "proactive और calculated" रणनीति अपनाता है।
निष्कर्ष: संयम के साथ शक्ति का प्रदर्शन
भारतीय नौसेना की कराची पर हमले की तैयारी इस बात का प्रमाण है कि भारत अब किसी भी हमले को बिना जवाब दिए नहीं छोड़ता। हालांकि 96 घंटे में ही कार्रवाई करने की तैयारी थी, लेकिन सरकार ने रणनीतिक संयम दिखाते हुए सटीक और प्रभावशाली जवाब दिया।
यह घटना न केवल भारतीय सेना की क्षमता को दर्शाती है, बल्कि भारत की नई सुरक्षा नीति—जिसमें शांति और जवाबदेही दोनों शामिल हैं—का प्रतिबिंब भी है।