भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनावों में एक बड़ा मोड़ तब आया जब पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने एक टीवी इंटरव्यू में कबूल किया कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के दो अहम एयरबेस—नूर खान और शोरकोट—को तबाह कर दिया। यह कबूलनामा न सिर्फ पाकिस्तान के पहले के सभी इनकारों को झूठा साबित करता है, बल्कि भारत की सैन्य क्षमता और कूटनीतिक स्पष्टता की भी गवाही देता है।
क्या है ऑपरेशन सिंदूर?
भारत ने 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया।
इस हमले में 26 नागरिकों की मौत हुई थी, जिनमें 25 भारतीय और एक विदेशी नागरिक शामिल था। हमले में निर्दोष लोगों को धर्म पूछकर गोलियों से भून दिया गया था, जिससे देशभर में गुस्सा भड़क उठा।
भारत ने इस जघन्य आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों की भूमिका का दावा किया और जवाब में बेहद योजनाबद्ध और गुप्त सैन्य कार्रवाई की—जिसे नाम दिया गया "ऑपरेशन सिंदूर"।
भारत ने मारे दो ठिकाने, पाकिस्तान अब माने
डार ने जियो न्यूज को दिए गए इंटरव्यू में स्वीकार किया कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत रावलपिंडी स्थित दो अहम एयरबेस कैंप—नूर खान और शोरकोट—को निशाना बनाया और उन्हें पूरी तरह नेस्तनाबूद कर दिया।
“हम जवाबी हमले की तैयारी कर ही रहे थे कि भारत ने हमें पहले ही निशाना बना लिया।” — इशाक डार
यह बयान पाकिस्तान सरकार के पहले के दावों को झुठला देता है जिसमें वे बार-बार भारत की सैन्य कार्रवाई को “फर्जी दावे” बताते रहे थे।
26 नागरिकों की मौत, भारत ने दिया जवाब
भारत का दावा है कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान स्थित आतंकी गुटों को शरण देने वाले मिलिट्री बेस पर सटीक मिसाइल हमले किए गए।
डार ने यह भी स्वीकार किया कि भारत के हमले में 26 पाकिस्तानी नागरिक मारे गए, जिनमें कुछ आम नागरिक भी शामिल थे।
हालांकि इस बात पर बहस हो सकती है कि आम नागरिकों की मौत का जिम्मेदार कौन है—हमले को रोकने में नाकाम पाकिस्तान की सरकार या जवाबी कार्रवाई करने वाला भारत।
सऊदी अरब को बीच में लाया पाकिस्तान
इशाक डार ने इस बात का भी खुलासा किया कि भारत के हमले के 45 मिनट के भीतर उन्होंने सऊदी प्रिंस फैसल बिन सलमान से संपर्क किया और उन्हें कहा कि वे भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से संपर्क करें।
इसका उद्देश्य था कि पाकिस्तान की ओर से "शांति का संदेश" भारत तक पहुंचाया जा सके और एक संभावित युद्ध को टाला जा सके।
इससे यह भी स्पष्ट होता है कि भारत की सैन्य प्रतिक्रिया ने पाकिस्तान की सरकार को हिलाकर रख दिया था।
अब और नहीं चाहिए सबूत?
भारत की कार्रवाई पर कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सवाल उठाए गए थे। कई देशों और संगठनों ने भारत से सबूत मांगे थे कि क्या वाकई उसने जवाबी हमले किए हैं।
भारत ने अपने डेलीगेशन के जरिए विभिन्न देशों को ऑपरेशन सिंदूर के तथ्यों से अवगत कराया था, लेकिन इसके बावजूद संदेह बना रहा।
अब जब पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री ने खुद स्वीकार कर लिया है कि भारत ने हमला किया और उनके एयरबेस तबाह कर दिए,
तो अब शायद किसी “सबूत” या “प्रमाण” की जरूरत नहीं रह गई है।
रणनीतिक संकेत क्या हैं?
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भारत की सैन्य योजना अब सिर्फ डिफेंसिव नहीं बल्कि प्री-एंप्टिव है—पहले वार कर शत्रु को जवाब देने का तरीका।
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राजनयिक संतुलन बनाए रखते हुए भारत ने कूटनीतिक मंचों पर अपनी स्थिति स्पष्ट की और सैन्य कार्यवाही को मजबूरी में उठाया गया कदम बताया।
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पाकिस्तान की अंदरूनी कमजोरी भी उजागर हुई है—एक तरफ आतंकी संगठनों पर नियंत्रण की नाकामी, दूसरी तरफ सऊदी अरब जैसे बाहरी देशों से मध्यस्थता की अपील।
क्या आगे होगा?
अब जबकि सच्चाई सामने आ चुकी है, भारत और पाकिस्तान के बीच एक नया राजनयिक दौर शुरू होने की संभावना है।
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पाकिस्तान, अंतरराष्ट्रीय दबाव में आकर आतंकी गतिविधियों पर नियंत्रण का वादा कर सकता है।
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भारत, वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति और मजबूत कर सकता है।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है:
क्या पाकिस्तान इस स्वीकारोक्ति के बाद आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करेगा या फिर यह सिर्फ एक अस्थायी कबूलनामा था?
निष्कर्ष
इशाक डार का यह बयान भारत के सैन्य और कूटनीतिक रुख की पुष्टि करता है। यह सिर्फ एक हमले की स्वीकारोक्ति नहीं, बल्कि भारत की सैन्य नीति की स्वीकार्यता है—कि जब देश पर हमला होता है, जवाब भी ज़रूर दिया जाता है।
“शांति की बात वहीं होती है, जहां सैन्य ताकत का सम्मान होता है।”