वैश्विक कच्चे तेल बाजार (Global Crude Oil Market) में चल रहे नए भू-राजनीतिक और आपूर्ति संबंधी उतार-चढ़ावों के कारण भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका गहरा गई है। हालांकि भारत में पिछले कई वर्षों से ईंधन की कीमतों में बड़ा इजाफा नहीं किया गया है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि वैश्विक बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतें जल्द ही बढ़ सकती हैं, जिसका असर अंततः घरेलू उपभोक्ताओं पर पड़ सकता है।
क्यों बढ़ सकती हैं कच्चे तेल की कीमतें?
वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि की आशंका के पीछे दो मुख्य कारण हैं:
1. रूसी कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिबंध: अमेरिकी सरकार द्वारा प्रमुख रूसी तेल कंपनियों जैसे रोसनेफ्ट (Rosneft) और लुकोइल (Lukoil) पर लगाए गए प्रतिबंध 21 नवंबर से प्रभावी होने जा रहे हैं। इन प्रतिबंधों से वैश्विक तेल आपूर्ति में कमी आने की संभावना है। आपूर्ति कम होने से बाजार में कीमतें स्वतः ही ऊपर चली जाएंगी। गौरतलब है कि कच्चे तेल की कीमतें पहले ही मई में चार साल के निचले स्तर 60 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर जून में 76 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थीं, और प्रतिबंध लागू होने के बाद इसमें और तेजी आ सकती है।
2. ओपेक प्लस (OPEC+) का उत्पादन पर निर्णय: तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक प्लस के फैसलों ने भी आपूर्ति को प्रभावित किया है। ओपेक ने दिसंबर में प्रतिदिन 137,000 बैरल उत्पादन बढ़ाने का ऐलान किया था। हालांकि, समूह ने जनवरी से मार्च 2026 तक उत्पादन बढ़ोतरी पर रोक लगाने का भी फैसला किया है। ओपेक का कहना है कि यह निर्णय मौसम और आठ सदस्य देशों की जरूरतों को ध्यान में रखकर लिया गया है, लेकिन इस रोक से भी बाजार में आपूर्ति प्रभावित होगी और कीमतों में इजाफा हो सकता है।
भारत की ऊर्जा सुरक्षा रणनीति
कच्चे तेल की कीमतों में संभावित उतार-चढ़ाव को देखते हुए, भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा संरचना को मजबूत करने के लिए चुपचाप रणनीतिक तैयारी कर रहा है। भारत की योजना है कि वैश्विक बाजार में क्रूड की कीमतें बढ़ने से पहले ही अपने रणनीतिक तेल भंडार (Strategic Petroleum Reserve) में पर्याप्त मात्रा में तेल जमा कर लिया जाए। मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक बाजार में कीमतें कम होने का फायदा उठाकर भारत ने पिछले कुछ महीनों में तेल की खरीदारी तेज कर दी है।
यह रणनीति भारत को न केवल ऊंची कीमत पर तेल खरीदने की जरूरत से बचाएगी, बल्कि किसी भी भू-राजनीतिक तनाव की स्थिति में भी देश की ऊर्जा सुरक्षा (Energy Security) सुनिश्चित करेगी। भारत सरकार और इंडियन स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व्स लिमिटेड (ISPRL) मिलकर यह खरीदारी कर रहे हैं। भविष्य की ऊर्जा सुरक्षा को बनाए रखने के लिए, भारत में दो नए तेल भंडार भी बनाए जा रहे हैं। वर्तमान में देश में तीन स्थानों पर पहले से ही तेल रिजर्व मौजूद हैं, जिससे भविष्य में कुल पांच ऑयल रिजर्व हो जाएंगे।
क्या घरेलू कीमतें बढ़ेंगी?
हालांकि, वैश्विक संकेतों के चलते पेट्रोल और डीजल के घरेलू दाम बढ़ने की आशंका है, लेकिन इस बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। भारत में तेल की कीमतें वैश्विक आपूर्ति, मुद्रा विनिमय दरों (Exchange Rates) और सरकारी नीतियों सहित कई कारकों पर निर्भर करती हैं। फिलहाल, सरकारी एजेंसियों या सरकार की ओर से कीमतों में बढ़ोतरी के संबंध में कोई आधिकारिक सूचना जारी नहीं की गई है।