मुंबई, 21 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन) टेक जगत में AI रेस को लेकर बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच, मेटा (Meta) के स्वामित्व वाले मैसेजिंग प्लेटफॉर्म WhatsApp ने अपने प्रतिद्वंद्वी AI चैटबॉट्स पर एक बड़ी कार्रवाई की है। WhatsApp ने अपनी बिजनेस API (Application Programming Interface) पॉलिसी को अपडेट किया है, जिसके तहत प्लेटफॉर्म पर सामान्य-उद्देश्य वाले AI चैटबॉट्स के संचालन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
इस कदम से सीधे तौर पर OpenAI के ChatGPT और Perplexity जैसे प्रतिद्वंद्वी AI असिस्टेंट्स का WhatsApp प्लेटफॉर्म पर इस्तेमाल रुक जाएगा, और Meta AI ऐप के 50 करोड़ से अधिक भारतीय यूज़र्स के लिए एकमात्र AI चैटबॉट बन जाएगा। यह निर्णय AI की दौड़ में बढ़ते प्रभुत्व की लड़ाई को दर्शाता है और यह संकेत देता है कि तकनीकी दिग्गज अब और अधिक बंद (Closed) और कड़ाई से नियंत्रित इकोसिस्टम की ओर बढ़ रहे हैं।
क्या कहता है WhatsApp का नया नियम?
WhatsApp की अपडेटेड बिजनेस API पॉलिसी में एक नया सेक्शन जोड़ा गया है, जो विशेष रूप से AI मॉडल प्रोवाइडर्स को WhatsApp के माध्यम से अपने AI असिस्टेंट्स वितरित करने से रोकता है।
नए नियम के मुख्य बिंदु (जो 15 जनवरी, 2026 से प्रभावी होंगे):
प्रतिबंध: कृत्रिम बुद्धिमत्ता या मशीन लर्निंग टेक्नोलॉजी के प्रोवाइडर्स, जिनमें लार्ज लैंग्वेज मॉडल, जेनरेटिव AI प्लेटफॉर्म या सामान्य-उद्देश्य वाले AI असिस्टेंट शामिल हैं, को WhatsApp Business Solution का उपयोग करने से सख्ती से प्रतिबंधित किया जाता है।
शर्त: यह प्रतिबंध तभी लागू होगा जब ऐसी टेक्नोलॉजी प्राथमिक कार्यक्षमता (Primary functionality) के रूप में उपलब्ध कराई जा रही हो, न कि आनुषंगिक या सहायक कार्यक्षमता (Incidental or Ancillary) के तौर पर।
ग्राहक सेवा के लिए AI पर कोई असर नहीं
WhatsApp ने स्पष्ट किया है कि यह बदलाव उन व्यवसायों को प्रभावित नहीं करेगा जो ग्राहक सेवा के लिए AI चैटबॉट्स का उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, एक ट्रैवल एजेंसी द्वारा ग्राहक सहायता के लिए तैनात किए गए AI चैटबॉट पर यह प्रतिबंध लागू नहीं होगा।
Meta ने क्यों लिया यह फैसला?
Meta ने इस नीति अपडेट को सही ठहराते हुए कहा कि WhatsApp Business API सॉल्यूशन मुख्य रूप से व्यवसायों को ग्राहक सहायता प्रदान करने और प्रासंगिक अपडेट भेजने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
Meta के एक प्रवक्ता ने टेकक्रंच (TechCrunch) को बताया कि, "हमारा ध्यान उन हजारों व्यवसायों को समर्थन देने पर है जो WhatsApp पर इस तरह के अनुभव बना रहे हैं।" इसके अलावा, कंपनी ने यह भी कहा कि सामान्य-उद्देश्य वाले चैटबॉट्स के वितरण से मैसेज वॉल्यूम में वृद्धि के कारण उनके बैकएंड सिस्टम पर भारी बोझ पड़ रहा था, जिससे API की दक्षता प्रभावित हो रही थी।
प्रतिस्पर्धा आयोग की चिंताएँ
WhatsApp के इस कदम से AI उद्योग में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को लेकर पहले से चल रही बहस और तेज हो सकती है। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने इस महीने की शुरुआत में जारी एक अध्ययन में चिंता व्यक्त की थी कि बड़ी तकनीकी कंपनियों को AI में उनके डेटा और इंफ्रास्ट्रक्चर पर नियंत्रण के कारण अनुचित बाज़ार लाभ मिलता है।
सीसीआई ने कहा था, "AI उद्योग में, प्रमुख फर्में डेटा, बुनियादी ढांचे और मालिकाना मॉडल पर अपने नियंत्रण का लाभ उठा सकती हैं ताकि बाजार में अपनी स्थिति मजबूत कर सकें, जिससे बाजार में प्रवेश के लिए बाधाएं खड़ी हो सकती हैं।" WhatsApp का यह निर्णय उसी तरह के बंद बाज़ार (Closed Market) के डर को और बल देता है।