यमन के रणनीतिक बंदरगाह शहर मुकल्ला पर सऊदी अरब की हालिया बमबारी ने खाड़ी क्षेत्र के भू-राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह से बदल दिया है। इस सैन्य कार्रवाई के जवाब में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) द्वारा सऊदी अरब से अपने सैनिकों को वापस बुलाने की घोषणा ने दो पूर्व सहयोगियों के बीच गहरे मतभेदों को सतह पर ला दिया है। यह घटनाक्रम न केवल यमन के भविष्य के लिए, बल्कि पूरे मध्य पूर्व की स्थिरता के लिए एक बड़ा संकेत है।
तनाव की जड़: हथियार या वाहन?
विवाद की शुरुआत तब हुई जब सऊदी अरब ने आरोप लगाया कि यूएई से यमन पहुंचे एक जहाज के जरिए गुप्त रूप से हथियार भेजे गए थे। सऊदी अरब का दावा है कि ये हथियार अबू धाबी समर्थित सदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (STC) के लिए थे। इसी दावे के आधार पर सऊदी ने मुकल्ला बंदरगाह को निशाना बनाकर हवाई हमले किए।
इसके विपरीत, यूएई ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। यूएई के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि उस जहाज में हथियार नहीं, बल्कि वहां तैनात यूएई सैनिकों के उपयोग के लिए सैन्य वाहन थे। यूएई ने स्पष्ट किया कि वह यमन की संप्रभुता का सम्मान करता है और केवल आतंकवाद विरोधी अभियानों और वैध सरकार की बहाली के लिए वहां मौजूद है।
सैन्य वापसी और आतंकवाद-रोधी तर्क
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, यूएई ने अपने बचे हुए सैन्य कर्मियों को "स्वेच्छा से" वापस बुलाने का फैसला सुरक्षा कारणों और आतंकवाद-रोधी अभियानों की प्रभावशीलता को बढ़ाने के नाम पर लिया है। हालांकि, कूटनीतिक जानकार इसे सऊदी अरब की कार्रवाई के खिलाफ एक कड़े विरोध के रूप में देख रहे हैं। यूएई का रुख साफ है कि यमन का भविष्य यमनी पक्षों द्वारा ही तय किया जाना चाहिए और इसमें बाहरी हस्तक्षेप सीमित होना चाहिए।
STC बनाम यमनी सेना: सत्ता का संघर्ष
यमन का आंतरिक संघर्ष अब सऊदी अरब और यूएई के बीच 'प्रॉक्सी वॉर' जैसा रूप लेता जा रहा है:
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STC (दक्षिणी यमन): 2017 से अलग संप्रभुता की मांग कर रहा यह समूह यूएई समर्थित है। हाल ही में इसने तेल समृद्ध हद्रामौत और महरा प्रांतों के बड़े हिस्सों पर कब्जा कर अपनी स्थिति मजबूत की है।
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यमनी सेना: इसे सऊदी अरब का समर्थन प्राप्त है और यह हद्रामौत ट्राइबल एलायंस के साथ मिलकर अलगाववादियों को रोकने की कोशिश कर रही है।
सऊदी अरब द्वारा शुक्रवार को किए गए हवाई हमले सीधे तौर पर STC को एक चेतावनी थे कि वे तेल प्रतिष्ठानों और रणनीतिक प्रांतों से पीछे हटें।
रणनीतिक महत्व और भविष्य की चुनौतियां
मुकल्ला और उसके आसपास का क्षेत्र वैश्विक शिपिंग मार्गों (बाबल-मंदेब जलडमरूमध्य के निकट) और ऊर्जा निर्यात के लिए बेहद संवेदनशील है। खाड़ी के दो सबसे शक्तिशाली देशों के बीच बढ़ता यह टकराव इस मार्ग को असुरक्षित बना सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि STC की बढ़ती सैन्य ताकत उसे भविष्य की किसी भी शांति वार्ता में 'निर्णायक' भूमिका में ले आएगी। उनकी मांग स्पष्ट है—दक्षिणी यमन को आत्मनिर्णय का अधिकार मिलना चाहिए। वर्तमान स्थिति ने यमन संकट को और अधिक जटिल बना दिया है, जहाँ अब दुश्मन केवल विद्रोही नहीं, बल्कि पुराने सहयोगी भी आमने-सामने हैं।