जापान की नई सुरक्षा और विदेश नीति की प्रमुख (कथित तौर पर) साना तकाइची के कुर्सी संभालते ही चीन और जापान के बीच तनाव और ज्यादा बढ़ गया है। एक चीनी राजदूत ने जहां कथित तौर पर तकाइची का 'सिर काटने' की बात कहकर मर्यादा लांघी, वहीं जापान ने ताइवान का खुलकर साथ दिया है। इस तीखे घटनाक्रम के बाद से बीजिंग 'अलर्ट मोड' में है। चीन ने अपने नागरिकों से जापान न जाने की सलाह दी है, जो दर्शाता है कि बीजिंग स्थिति को कितनी गंभीरता से ले रहा है। कहा जा रहा है कि अगर जापान और चीन के बीच स्थिति ऐसी ही बनी रहती है, तो जंग का नया मोर्चा खुल सकता है, जिसका असर पूरे एशिया पर पड़ेगा।
चीन की ताकत बनाम जापान का दबदबा
संख्या बल के मामले में चीन, जापान की तुलना में काफी मजबूत स्थिति में है। चीन के पास वर्तमान में 20 लाख सैनिक हैं, जो जापान की तुलना में 10 गुणा ज्यादा है। इसी तरह बीजिंग के पास 600 परमाणु हथियार भी हैं। इन विशाल आँकड़ों के बावजूद, जापान को कुचलना चीन के लिए बिल्कुल भी आसान नहीं है। चीन की ताकत के सामने जापान के पास 5 ऐसे रणनीतिक और तकनीकी मोर्चे हैं, जहां वह चीन को कड़ी टक्कर दे सकता है और उसे पानी पिला सकता है।
इन 5 मोर्चों पर जापान चीन पर भारी पड़ सकता है:
1. समुद्री युद्ध में जापान की श्रेष्ठता
जापान जंग लड़ने में माहिर है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान को सिर्फ अमेरिका ही मात दे पाया था, नहीं तो कई देशों ने उसके सामने घुटने टेक दिए थे। यहाँ तक कि जापान ने चीन को भी पटखनी दी थी। वर्तमान में, जापान अभी भी समुद्री युद्ध लड़ने में सबसे आगे है।
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उसके पास दुनिया की सबसे बेहतरीन एंटी-सबमरीन नेवी (ASW) है।
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जापान के पास उन्नत ASW तकनीक (जैसे सोनार, गश्ती विमान) और P-1 Maritime Patrol Aircraft है, जो जंग के वक्त चीन की पनडुब्बियों और नौसेना के लिए बड़ी चुनौती पैदा कर सकते हैं।
2. अत्याधुनिक रडार और मिसाइल डिफेंस सिस्टम
तकनीकी स्तर पर भी जापान काफी मजबूत है। उसका रडार सिस्टम काफी उन्नत किस्म का है।
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जापान ने पहले से ही अपने यहाँ दुनिया की सबसे बढ़िया मिसाइल रक्षा प्रणाली, Patriot PAC-3 MSE सिस्टम, स्थापित कर रखा है।
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इसके अलावा, जापान ने अमेरिका के साथ एक महत्वपूर्ण डील कर रखी है, जिसके तहत जंग की स्थिति में अमेरिका उन्नत रडार सेवाएँ टोक्यो को मुहैया कराएगा। यह चीन की मिसाइलों को ट्रैक करने और उन्हें नष्ट करने में निर्णायक साबित हो सकता है।3. रणनीतिक और मजबूत भौगोलिक स्थिति
जापान की भौगोलिक स्थिति उसे एक मजबूत बढ़त देती है।
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जापान के पास East China Sea, Miyako Strait, Tsushima Strait, Okinawa island chain, और Ryukyu islands का मजबूत एक्सेस है।
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ये जलडमरूमध्य और द्वीप श्रृंखलाएँ चीन की नौसेना के लिए मुख्य एंट्री पॉइंट हैं। जापान के लिए इन्हें भेदना चीन के लिए आसान नहीं है, जिससे चीन को अपनी समुद्री गतिविधियों को नियंत्रित करने में भारी परेशानी होगी।
4. अमेरिका की सुरक्षा गारंटी का कवच
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद, अमेरिका और जापान के बीच एक ऐतिहासिक डिफेंस डील हुई। जापान ने सेना रखने से इनकार कर दिया और बदले में दोनों देशों के बीच समझौता हुआ कि बाहरी हमले से जापान को अमेरिका ही बचाएगा।
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इस डील के तहत, जंग की स्थिति में अमेरिका जापान की मदद के लिए आएगा।
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चीन अच्छी तरह से जानता है कि वह अमेरिका से सीधा जंग नहीं लड़ना चाहेगा, क्योंकि यह एक क्षेत्रीय संघर्ष के बजाय एक वैश्विक शक्ति संघर्ष में बदल जाएगा।
5. क्षेत्रीय गठबंधन का संभावित खतरा
एशिया में चीन के कई पड़ोसी देशों से रिश्ते तनावपूर्ण हैं। ताइवान, फिलिपींस और जापान चीन के 3 बड़े दुश्मन हैं, वहीं दक्षिण कोरिया से भी रिश्ते खराब हैं।
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जंग की स्थिति में ये सभी देश जापान के साथ आ सकते हैं, जिससे चीन को एक बड़े बहु-मोर्चा (Multi-front) युद्ध में फंसना पड़ सकता है। यह चीन के लिए सबसे बड़ी रणनीतिक चिंता होगी, क्योंकि उसे एक साथ कई दिशाओं से निपटने की तैयारी करनी पड़ेगी।