सऊदी अरब में सोमवार को हुआ भयानक बस हादसा दिल दहला देने वाला है। भारतीय उमराह यात्री बस में सवार होकर मक्का से मदीना जा रहे थे, तभी बस एक टैंकर से टकरा गई और भीषण आग लग गई। इस दुर्घटना में बस में सवार 46 भारतीय यात्रियों में से दुर्भाग्यवश 45 लोगों की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि बस में सवार ये सभी लोग हैदराबाद से थे, जिनमें 17 पुरुष, 28 महिलाएं और 10 बच्चे शामिल थे। यह दुर्घटना उन सभी परिवारों के लिए एक बड़ा आघात है।
एकमात्र बचे शख्स शोएब भी हैं, जिनके परिवार के सदस्यों की इस हादसे में जान चली गई। अब इस दुखद घटना के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिन लोगों की जान गई है, क्या सऊदी अरब उनको मुआवजा देगा? और अगर देगा, तो इसके लिए क्या प्रक्रिया अपनानी होगी?
सऊदी अरब से मुआवजे की प्रक्रिया
रियाद स्थित भारतीय दूतावास के अनुसार, यदि किसी शख्स की सऊदी अरब में मौत हो जाती है, तो उनके परिवार या उनके द्वारा अधिकृत व्यक्ति को मुआवजा तभी मिल सकता है जब वे शरिया कोर्ट में केस दाखिल करते हैं।
मुआवजा मिलने की पूरी प्रक्रिया को हम बिंदुओं में समझते हैं:
कब और कैसे मिलता है मुआवजा?
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मृत्यु के कारण: यदि मौत हत्या, आग, फैक्ट्री हादसे, या सड़क दुर्घटना जैसी वजहों से हुई है, तो परिवार को मौत का मुआवजा (Diyya - ब्लड मनी) मिलने का अधिकार हो सकता है।
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हादसे में मौत (कर्मचारी): अगर मौत काम से जुड़े हादसे में हुई है और कर्मचारी GOSI (General Organization for Social Insurance) बीमा में कवर था, तो GOSI परिवार को मुआवजा देता है। परिवार को खुद GOSI से संपर्क करना पड़ता है।
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गैर-बीमा और लापरवाही: अगर GOSI बीमा नहीं था और हादसा कंपनी की लापरवाही से हुआ, तो कंपनी को मुआवजा देना होता है।
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कोर्ट की भूमिका: मुआवजा तभी मिलेगा जब परिवार या उनका अधिकृत व्यक्ति शरिया कोर्ट में केस दाखिल करता है। कोर्ट सुनवाई के बाद यह तय करेगा कि मुआवजा मिलेगा या नहीं और कितना मिलेगा।
भारतीय दूतावास की भूमिका
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मृत्यु का केस आने पर दूतावास यह देखता है कि दुर्घटना में किसकी कितनी गलती थी और परिवार को बताता है कि मुआवजा मिलने की संभावना है या नहीं।
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जहाँ मुआवजा मिल सकता है, वहाँ परिवार से कहा जाता है कि वे जरूरी कागज तैयार करें और किसी नजदीकी रिश्तेदार को या भारतीय दूतावास को केस लड़ने की अनुमति (Power of Attorney) दें।
मुआवजे के लिए जरूरी दस्तावेज (ट्रैफिक एक्सीडेंट के मामले में)
मुआवजा लेने के लिए पीड़ित परिवार को कुछ महत्वपूर्ण कानूनी दस्तावेज तैयार करने होंगे:
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लीगल हेयरशिप सर्टिफिकेट (LHC):
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यह अंग्रेजी और अरबी में होना चाहिए।
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इसे भारत के जिला अधिकारियों (तहसीलदार/कलेक्टर/जज) की ओर से जारी किया जाता है।
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इसमें सभी कानूनी वारिसों के पूरे नाम, उम्र और मृतक से संबंध साफ लिखा होना चाहिए।
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पावर ऑफ अटॉर्नी (POA):
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यह भी अंग्रेजी और अरबी में होना चाहिए।
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इसे सभी कानूनी वारिसों को साइन करना है। छोटे बच्चों की तरफ से अभिभावक साइन करेगा।
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इसे किसी करीबी रिश्तेदार (सऊदी में रहने वाले) या भारतीय दूतावास के नाम किया जा सकता है।
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अगर दूतावास वकील नियुक्त करेगा, तो परिवार को एक सहमति पत्र भी देना होगा।
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लीगल गार्जियनशिप सर्टिफिकेट (LGC):
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दस्तावेजों की अटेस्टेशन (सत्यापन):
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भारत में: राज्य सरकार के गृह विभाग द्वारा, फिर MEA द्वारा अपोस्टिल।
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सऊदी में: सऊदी Ministry of Justice द्वारा अटेस्टेशन।
इन सभी कानूनी औपचारिकताओं को पूरा कर लेने के बाद ही सऊदी अरब में मुआवजे की प्रक्रिया आगे बढ़ सकती है।
तेलंगाना सरकार का 5 लाख रुपये मुआवजे का ऐलान
इस दर्दनाक हादसे के बाद, तेलंगाना सरकार ने मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है। इसके साथ ही, तेलंगाना सरकार ने सऊदी अरब में राहत कार्यों के समन्वय के लिए अपने अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद अजहरूद्दीन के नेतृत्व में एक टीम भेजने का फैसला किया है।
मंत्री अजहरूद्दीन ने बताया कि शव बुरी तरह जल चुके हैं, इसलिए पीड़ितों की पहचान के लिए डीएनए टेस्ट भी कराए जाने की संभावना है। सरकार ने मृतकों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था करने में भी मदद का आश्वासन दिया